चर्म रोग की पहचान कैसे करें - 5 Skin Allergy Types with Pictures in Hindi
अध्ययन के अनुसार दुनिया में 3000 प्रकार के चर्म रोग हैं। और विटिलिगो त्वचा रोग उनमें से एक सीरोयस त्वचा रोग है। त्वचा संबंधी कुछ सबसे सामान्य प्रकार की स्थितियां हैं। जैसे त्वचा का फंगल संक्रमण, दाद, ल्यूकोडर्मा या विटिलिगो, ज़ेरोडर्मा, खुजली, एक्जिमा, पित्ती, सोरायसिस, चिलब्लेन्स, प्रुरिटस और चेहरे पर मुँहासे आदि।
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Toggleचर्म रोग क्यों होता है - Charm Rog Kya Hota Hai
आजकल त्वचा की समस्याओं का सबसे आम कारण, त्वचा का खराब होना और त्वचा पर खुजली होना, गलत खान-पान, तरह-तरह के मेकअप का इस्तेमाल, अधिक दवाइयों का सेवन और सर्दियों में विटामिन सी की कमी त्वचा की समस्याओं का प्रमुख कारण है।
कुष्ठ रोग कितने प्रकार के होते हैं - Type of Skin Diseases in Hindi
त्वचा की समस्याएं शरीर की बाहरी सतह या परत को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करती हैं और यह त्वचा की बाहरी सतह को नुकसान पहुंचाती हैं, खुजली का कारण बनती हैं, चित्रों के साथ सभी प्रकार के चर्म रोग की फोटो के साथ दुर्लभ त्वचा रोगों की सूची नीचे दी गई है।
पुराना चर्म रोग का इलाज के लिए नीचे कुछ ट्रीटमेंट दिए गए है। जिसको आप अपने दैनिक जीवन में उपयोग में लाकर अपनी चर्म रोग की बीमारी का सही इलाज कर सकते है। और इसके आलावा आप कुछ मॉइस्चर भी दिए गए है। जिसके द्वारा आप अपनी स्किन को मॉइस्चरिंग कर सकते है। तथा अपनी फटी एड़ियों से छुटकारा पा सकते है।
नीचे चित्रों के साथ 5 त्वचा रोगों की सूची दी गई है और आप नीचे दी गई त्वचा स्थितियों पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं और शीर्ष त्वचा विशेषज्ञ द्वारा अनुशंसित उनकी त्वचा रोगों से संबंधित दवाएं भी खरीद सकते हैं।
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1. कुष्ठ रोग इन हिंदी - Leprosy in Hindi
इस प्रकार के त्वचा रोगों को पूर्ण बहरापन, सफेद कुष्ठ, सफेद दाग आदि नामों से भी जाना जाता है। छोटे सफेद दाग पहले शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे चेहरे, होंठ, पैर और हाथों पर दिखाई देते हैं, फिर धीरे-धीरे फैलते हैं। यह कोई छूत की बीमारी नहीं है। यदि मरीज़ को इस प्रकार के लक्षण महसूस होते हैं। तो यह ल्यूकोडर्मा का कारण हो सकता है। इस बीमारी को विटिलिगो भी कहा जाता है।
2. एक्जिमा क्या है - Eczema Hindi
रोग परिचय — इसे अकौता, चम्बल, छाजन, पामा, पानीवात आदि अनेक नामों से जाना जाता है। इसका प्रकोप चर्म पर खाज-खुजली, जलन तथा दर्द युक्त छोटी-छोटी बारीक फुन्सियों से प्रारम्भ होता है। यही छोटी-छोटी फुन्सियाँ या दानें खुजलाते खुजलाते घाव का रूप धारण कर बड़ा आकार ग्रहण कर लेते हैं। रोग नया हो या पुराना, बड़ी कठिनाई से ठीक होता है। इस रोग का कारण पाचन विकार, शारीरिक कमजोरी, वंशज प्रभाव, वृक्क शोथ, मधुमेह, गाऊट (छोटे जोड़ों का दर्द) अन्य जोड़ों का दर्द, स्थानीय खराश, साबुन का अधिक प्रयोग, बच्चों का दाँत निकलना या पेट में कीड़े होना, पसीने की अधिकता, चर्म से भूसी उतरना इत्यादि हैं। एक्जिमा रोग की पहचान के लिए एक्जिमा की फोटो नीचे दी गयी है। जिसकी आप आच्छे से पह्चान कर इलाज करवा सकते है।
3. बार-बार पित्ती उछलना - Pitti Uchalna
रोग परिचय- इस रोग को जुड़ी पित्ती, जुल्म पित्ती, शीत पित्ती, छपाकी इत्यादि कई नामों से जाना जाता है। रक्त की उष्णता के कारण शरीर पर चकत्ते या ददौरे पड़ जाते हैं। जो तेजी से खुजलाते हैं। रोग पुराना हो जाने पर इससे छुटकारा पाना अत्यधिक मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी इसके साथ ज्वर भी हो जाता है। पित्ती उछलना का कारण प्रायः पाचक संस्थान की गड़बड़ी (अजीर्ण, अग्निमाद्य, मन्दाग्नि, कब्ज) अथवा स्त्रियों के गर्भाशयिक विकारों तथा वात रोग किसी प्रकार के जहरीले कीड़े—बरं, मधुमक्खी, मच्छर, खटमल आदि के काटने से अथवा अत्यधिक शीत या धूप लग जाने, अत्यधिक परिश्रम, तनाव, चिन्ता, मानसिक उत्तेजना, किसी खाद्य या पेय पदार्थ किसी औषधि-विशेष से होने वाली एलर्जी, धूल, धुआँ, गन्ध, सुगन्ध, ऋतु परिवर्तन, भोजन में अत्यधिक तेज मिर्च मसाले, घी-तैल का प्रयोग, खट्टे, चटपटे पदार्थों का सेवन, उपदंश रोग के विषाणुओं और सर्दी-गर्मी का एक साथ प्रकोप यथा— नहाकर जल्दी से ही कोई गरम कम्बल अथवा रजाई ओढ़ लेना अथवा जल्दी से गर्म चाय, कॉफी, दूध अथवा कोई गरम पदार्थ सेवन कर लेना तथा ऐलोपैथिक (सैलिसिलेट, एस्प्रिन, वेदना हर दवाओं तथा पेनिसिलीन इत्यादि के प्रयोग के कारण यह रोग हो जाया करता है। मांस – मछली का अधिक सेवन तथा क्वीनीन (मलेरिया की ऐलोपेथिक दवा) और संखिया मिश्रित योगों के सेवन से भी यह रोग हो जाता है। pitti uchalna की पहचान फोटो के साथ नीचे दी गयी है।
4. सोरायसिस हिंदी - What is Psoriasis in Hindi
रोग परिचय- यह रोग प्रायः कुहनी, घुटनों, पीठ, छाती, जाँघों इत्यादि चर्म पर गुलाबी रंग के पित्त के सिरे जैसे छोटे-छोटे दानों के रूप में उत्पन्न होता है। इन दानों में पीप नहीं होती है। यह एक अत्यन्त हठीला रोग है जो वर्षों तक बना रहता है। कभी-कभी यह स्वतः दब जाता है किन्तु कुछ समय बाद अथवा विशेष मौसम में पुनः उभर आता है। यह रोग प्रायः गठिया, आमवात, दस्तों का पीप युक्त होना, टान्सिल और गर्भाशय ग्रीवा में जीवाणुओं के संक्रमण होने तथा घी, मक्खन आदि के अधिक सेवन करने तथा दांतों के विकार- पायोरिया आदि के कारण एवं अजीर्ण और उपदंश आदि रोगों के कारण यह रोग हो जाता है। सोरायसिस फोटो नीचे दी गयी है। जिसके द्वारा आप रोग की पहचान कर समय पर इलाज कर सकते है।
5. एड़ी फटने का कारण और उपचार - Chilblains Pictures
रोग परिचय – इस रोग को अंग्रेजी में हैन्डस या चैप्स ऑफ एक्सट्रेमिटीज आदि नामों से भी जाना जाता है। शीत ऋतु में सख्त सर्दी के कारण प्रायः हाथ- पाँव की चर्म फट जाती है और उसमें तीव्र वेदना होती है। कई बार तो चर्म इतनी अधिक फट जाती है कि बड़े-बड़े और गहरे चीरे पड़ जाते हैं। अत्यधिक शीत, सर्दी और बर्फ के प्रभाव से शरीर की त्वचागत रक्त वाहिनियों में संकोच उत्पन्न हो जाता है जिसके फलस्वरूप रक्त की भीषण कमी हो जाती है और त्वचा सुन्न हो जाती है। इसका विशेष प्रभाव नाक तथा अँगुलियों पर पड़ता है। शीत (सर्दी) या बर्फ में अधिक देर रहने से अंगुलियां संज्ञाहीन हो जाती हैं। कभी ठण्डे और कभी गरम पानी से हाथ-पांव धोना, सर्दी में हाथ-पैर धोकर खुश्क न करना, ठण्डी वायु लगना इत्यादि इस रोग के कारण होते है।
उपचार — इसकी सर्वोत्तम चिकित्सा ठण्ड से बचना है। पीड़ित स्थान पर सूखी बगैर तैल आदि लगाये या मालिश करना लाभप्रद है। सूर्य स्नान भी लाभप्रद है। कृत्रिम अल्ट्रावायलेट किरणों का अधिक देर उपयोग करने से रक्त वाहिनियों की क्रिया में विकृति होकर (अन्य कोई नया रोग उत्पन्न हो सकता है।
एक ही रात में फटी एड़ियों से छुटकारा पाएं
पुराना चर्म रोग का इलाज के लिए नीचे कुछ ट्रीटमेंट दिए गए है। जिसको आप अपने दैनिक जीवन में उपयोग में लाकर अपनी चर्म रोग की बीमारी का सही इलाज कर सकते है। और इसके आलावा आप कुछ मॉइस्चर भी दिए गए है। जिसके द्वारा आप अपनी स्किन को मॉइस्चरिंग कर सकते है। तथा अपनी फटी एड़ियों से छुटकारा पा सकते है।
निष्कर्ष
त्वचा विकारों में योगदान देने वाले पर्यावरणीय कारकों और आनुवंशिकी को समझना रोकथाम और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। चर्म रोग एक दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी हो सकता है। लेकिन ज्ञान और सही दृष्टिकोण से लैस, आप कई त्वचा विकारों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं और यहां तक कि उन्हें रोक भी सकते हैं। याद रखें कि आपकी त्वचा आपके संपूर्ण स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। इसलिए इसकी देखभाल को प्राथमिकता दें।