संग्रहणी रोग - Ibs full form in Hindi – घर पर संग्रहणी का रामबाण इलाज
संग्रहणी रोग क्या है
रोग परिचय — इस रोग को ग्रहणी, संग्रहणी रोग के अतिरिक्त श्वेतातिसार तथा अंग्रेजी में स्प्रू (Spure) भी कहा जाता है। क्योंकि प्रारम्भ में प्रातःकाल बिना दर्द के हल्का सफेद और फेनदार खड़िया मिट्टी (रंग का) पानी के समान दस्त आता है। ज्यों-ज्यों रोग बढ़ता जाता है, त्यों-त्यों सायंकाल और भोजनोपरान्त तुरन्त भी दस्त आने लगता है किन्तु रोगी को कोई कष्ट महसूस नहीं होता है, इसके पश्चात् पेट अफरता है, दुर्गन्धित अपानवायु बदहज्मी और मन्दाग्नि इत्यादि के लक्षण प्रारम्भ होकर दुर्बलता, नाड़ी क्षीणता, पान्डु, अन्त में मरोड़ से तथा रोगी क्षीण होकर उचित चिकित्सा के अभाव में काल कवलित हो जाता है।
संग्रहणी रोग के लक्षण - Symptoms of collectible disease
ग्रहणी यानि संग्रहणी रोग का मुख्या लक्षणों में फेनदार खड़िया मिट्टी (रंग का) पानी के समान दस्त आते है। इसके अलावा पेट दर्द,गैस,बदहजमी,सही पाचन न होना आदि है।
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संग्रहणी रोग कैसे ठीक करें - How to cure ibs disease in Hindi
आयुर्वेद में संग्रहणी रोग के बहुत से उपाय है। जिसके द्वारा आप अपने स्वाथ्या यानि Irritable Bowel Syndrome(IBS) रोग का घर पर देसी जड़ी बूटी की मदद से दवाई बना कर अपने डॉक्टर की सहायता से संग्रहणी रोग के उपचार घर पर कर सकते है। संग्रहणी रोग की आयुर्वेदिक दवा के उपचार और संग्रहणी का रामबाण इलाज के कुछ उपाय नीचे दिए गए है जिसको आप अपने डॉक्टर की सहायता से प्रयोग में ला सकते हो।
संग्रहणी रोग के उपचार - Can IBS be cured permanently by Ayurveda
1. सफेद राल 10 ग्राम, देशी खान्ड़ 20 ग्राम दोनों को मिलाकर खूब घोट लें । इसे सुबह-शाम 5-5 ग्राम ठण्डे जल से लें। दो दिन में ही आराम मिलेगा।
2. पठानी लोध 100 ग्राम लेकर कूट-पीसकर कपड़छन कर लें । इसे 6-6 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार गाय के ताजा मठा (तक्र) के साथ दें।
नोट- मठा प्रति बार उसी समय बनाया जाये और उसमें पानी न मिलाया जाये । मठे में भुना जीरा और सेंधा नमक अन्दाज से मिला लें । अत्यन्त उत्तम योग है।
खूनी पेचिश की घरेलू दवा - Pechish ki dava
3. आँवले 10 ग्राम को भिगो दें। जब नरम हो जायें तब पीसकर और थोड़ा काला नमक मिलाकर जंगली बेर के समान गोलियाँ बना लें। सुबह-शाम 1-1 गोली चूसने से अतिसार, पेचिश तथा संग्रहणी आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
4. फिटकरी कच्ची 4 ग्राम, संगे जराहत की भस्म 1 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर उसमें संगे जराहत की भस्म मिलाकर एकजान कर लें, यह एक मात्रा है । एक पुड़िया मुँह में डालकर ऊपर से दूध पी लें। प्रथम खुराक पेट में पहुँचते ही रोगी आराम बतलायेगा । इसकी 5-6 खुराक खाने से रोगी स्वस्थ हो जायेगा। केवल दूध पीने को दें। अन्य सभी वस्तुओं से परहेज रखें ।
5. आम की सूखी हुई गिरी का चूर्ण 80 ग्राम, जीरा, काली मिर्च, सौंठ का चूर्ण प्रत्येक 30 ग्राम, आम वृक्ष के गोंद का चूर्ण 25 ग्राम, अफीम चूर्ण 3 ग्राम। सभी को भली प्रकार खरल करके रख लें। इसे 5 से 30 रत्ती की मात्रा में रोग की अवस्थानुसार देने से संग्रहणी में लाभ होता है ।
6. अरारोट का महीन चूर्ण 1 बड़ी चम्मच भर लें। उसमें 2 चम्मच दूध मिलाकर चम्मच से एक दिल कर लें फिर उसमें आधा किलो गरम जल मिलाकर आग पर रखें। थोड़ा जोश आने पर उसमें 250 ग्राम दूध तथा थोड़ी शक्कर पकावें आधा पानी जल जाने पर नीचे उतारकर उसमें 1 रत्ती जायफल चूर्ण मिलाकर सेवन कराने से संग्रहणी में लाभ हो जाता है।
7. मीठे आमों का रस 50 ग्राम में मीठा दही 10-20 ग्राम तथा अदरक का रस 1 चम्मच भर रोगी को पिलायें। इस प्रकार प्रतिदिन 2-3 बार लगातार कुछ दिनों के सेवन कराने से पुराने दस्त तथा संग्रहणी में लाभ हो जाता है।
लूज मोशन में इमली खाने के फायदे - Imli benefits in Hindi
हाँ, लूज मोशन में इमली खा सकते हैं तथा इमली के लूज मोशन में कुछ उपयोग नीचे दिए गए है।
8. इमली छाल का चूर्ण 1 से 6 ग्राम तक 20 ग्राम ताजा दही में मिलाकर दोनों समय (सुबह-शाम ) बालकों को चटाने से संग्रहणी में लाभ होता है।
9. इमली के पके हुए बीजों के छिलके का चूर्ण 4 ग्राम, जीरा भुना हुआ तथा मिश्री 6-6 ग्राम सभी का महीन चूर्ण बना लें। इसे 4 ग्राम की मात्रा में 3-3 घन्टे के अन्तर से ताजे मट्ठा के साथ सेवन कराने से पुराना आमातिसार तथा संग्रहणी में लाभ होता है।
इसबगोल खाने का सही तरीका - Isabgol ki bhusi ke fayde
ईसबगोल मुख्यता संग्रहणी रोग में काम आता है। ईसबगोल के 2 उपाय नीचे दिए गए है जो संग्रहणी रोग में लाभ देते है।
10. ईसबगोल की भूसी, मस्तंगी एवं छोटी इलायची के दाने सभी समभाग लेकर एकत्र कूट पीसलें। फिर उसमें सबके वजन के बराबर मिश्री मिलाकर 4 मात्रायें बना लें । चावलों के मांड के साथ 3-3 घन्टे पर सेवन कराने से आम, रक्त तथा पीड़ायुक्त संग्रहणी में लाभ होता है।
11. ईसबगोल 4 ग्राम को 40 ग्राम गरम जल में भिगो दें। शीतल हो जाने पर उसमें 10 ग्राम नारंगी या अनार का शर्बत (रस) मिलाकर पिलाने से आंतों
की भयंकर दाह (जलन) तथा संग्रहणी में लाभ होता
आईबीएस का आयुर्वेदिक इलाज - Ibs treatment in ayurveda Hindi
12. पिप्पली, भाँग तथा सोंठ के समभाग चूर्ण को शहद के साथ सेवन करते रहने से भयंकर संग्रहणी नष्ट हो जाती है।
13. बेलगिरी का चूर्ण 10 ग्राम, सौंठ का चूर्ण तथा पुराना गुड़ 6-6 ग्राम एकत्र कर खरल कर 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 3-4 बार लेने से संग्रहणी में लाभ हो जाता है।
14. बेल के कच्चे फल को आग में सेंककर गूदा निकालकर 10 ग्राम गूदे में थोड़ी सी शक्कर मिलाकर सेवन करते रहने से संग्रहणी नष्ट हो जाती है।
15. मीठी सौंफ 60 ग्राम, पिसा हुआ काला नमक 6 ग्राम तबे पर भूनकर सूक्ष्म चूर्ण बनाकर दिन में 3-4 बार 2-2 ग्राम की मात्रा में सेवन कराने से आँव का पाचन होकर ग्रहणी में लाभ हो जाता है। यह योग विशेषकर बालकों को लाभप्रद है।
16. बड़ी इलायची के दाने 10 ग्राम, सौंफ 60 ग्राम, नौसादर 20 ग्राम सभी को तबे पर भूनकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखें। इसे 1-1 ग्राम की मात्रा में सेवन करना संग्रहणी नाशक है।
17. खजूर के फल 6 ग्राम, गाय के 20 ग्राम दही के साथ सेवन कराना बच्चों की संग्रहणी में लाभप्रद है।
निष्कर्ष
नोट : इस लेख हमने संग्रहणी रोग के बारे में चर्चा की है। जिसमे आप पढ़ सकते है। की यह रोग क्यों होता है। और इसके लक्षण क्या है। तथा आप आयुर्वेद की मदद से इसका घर पर उपचार कैसे कर सकते है। और साथ ही आप हमारे द्वारा सुझए गए प्रोडक्ट को आप अपनी बिमारी को ठीक करने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह से कर उपयोग में ला सकते है।