पाएं अपनी पुरानी से पुरानी कब्ज से छुटकारा जाने कब्ज होने के मुख्य कारण - कब्ज क्या होता है - kabj kyu hota hai - || kabj hone ke karan ||

रोग परिचय — कब्ज का सीधा-सादा सा अर्थ है— मल का सही से न आना। मल उतरने की क्रिया विकृत हो जाना, यह रोग प्रायः आँतों की गड़बड़ी के कारण हुआ करता है। कोष्ठबद्धता मलावरोध, मलबन्ध, मल न उतरना,आदि सभी कब्ज के ही पर्यायवाची शब्द हैं। तो आईए इस लेख के माध्यम से जाने कि कब्ज क्या होता है ।

कब्ज जिसे अक्सर एक असुविधा माना जाता है किसी के दैनिक जीवन को महत्वपूर्ण रूप से बाधित कर सकती है। आहार संबंधी विकल्पों से लेकर चिकित्सीय स्थितियों तक विभिन्न कारक इस सामान्य पाचन समस्या में योगदान करते हैं। प्रभावी प्रबंधन और रोकथाम के लिए अंतर्निहित कारणों को समझना महत्वपूर्ण है।

यदि आप भी कब्ज कि समस्या से परेशान तो इस पोस्ट में अंत तक हमारे साथ बने रहे क्योंकि आज इस पोस्ट में हम कब्ज होने के कुछ कारणों के साथ-साथ दो सबसे बढ़िया दवाइयों के बारे में भी बतायेगें जिनसे आप अपनी पुरानी से पुरानी कब्ज का निवारण भी कर सकते है।

कब्ज क्या होता है

कब्ज क्या होता है - Kabj kya hota hai

कब्ज से अभिप्राय यह है कि मल पूरी तरह विसर्जित नहीं हो रहा है या मल सख्त आ रहा है। कब्ज का इंलिश अर्थ कॉन्स्टिपेशन (constipation) है। और इसको हिंदी में( constipation meaning in hindi) कब्ज यानि मल का सही से न आना होता है। कब्ज मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है।

कब्ज के प्रकार - types of constipation

1.  क्रानिक कान्स्टीपेशन – कब्जियत (Chronic Constipation meaning in hindi) इसमें मल के विसर्जन में कठिनाई महसूस होती है। कुछ रोगियों का मल बिलकुल नहीं निकलता तथा अन्य में मल कम मात्रा में आता है या सख्त आता है। शौच से निवृत होने के बाद भी रोगी के मन में शौच की शंका बनी रहती है।

2.  एक्यूट कान्स्टीपेशन – इसमें न तो मल, न ही पेट की हवा (फलेटस) का विसर्जन होता है। यह स्थिति प्रायः आंत के बंधे रोगियों में होती है व एक्यूट अबडोमन की अवस्था में होता है। New paragotri पेट के रोगों से पीड़ित व्यक्तियों में लगभग दो तिहाई रोगी कब्ज की शिकायत से ही चिकित्सक से परामर्श हेतु आते हैं। यह एक आम समस्या है जिसे प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवनकाल में कभी न कभी अवश्य महसूस करता है।

पुरानी कब्ज के लक्षण - kabj ke lakshan in hindi

जैसे की हम जानते है। कि आयुर्वेद के अनुसार पुरानी कब्ज का मुख्या लक्षण मल का कठोर और गांठदार आना है। यानि मल बहुत टाइट आता है। तथा रोगी आराम से शौच नहीं कर पाते और यह रोग मलद्वार अन्य कई रोगो का बन सकती है। जैसेकि बवासीर, गुदाचीर, पेरीएलएल एक्सैस, मलद्वार का संकरा होना आदि।

कब्ज क्यों होता है - kabj hone ke karan

कब्ज एक आम पाचन समस्या है जिसमें मल त्यागने में कठिनाई या मल त्यागने में कठिनाई होती है। जबकि कभी-कभार कब्ज होना सामान्य है लेकिन लगातार लक्षण किसी के जीवन की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं। प्रभावी प्रबंधन और रोकथाम के लिए कब्ज के अंतर्निहित कारणों को समझना आवश्यक है। जिसमें मुख्य रूप से शामिल है:

1.सही खान पान में कमी

खाने-पीने में रेशेदार पदार्थों की कमी कब्ज का प्रमुख कारण है। मेदे से बने खाद्य पदार्थ (बिस्कुट, पूड़ी, भटुरे, मिठाईयां आदि फास्टफूड, पेस्ट्री, केक, नूडल्स) मांसाहारी भोजन तथा अंडों का अधिक सेवन इस रोग को पैदा करते है। चाय, काफी, मदिरा का अधिक सेवन भी नुकसानदायक है।

2.पानी की कमी

शरीर में उचित जलयोजन स्तर को बनाए रखने में इसकी भूमिका के कारण पर्याप्त पानी नहीं पीने से कब्ज हो सकता है। पानी मल को नरम करने और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाने का काम करता है। लेकिन जब रोगी उचित मात्रा में पानी नहीं पिता तो मल सूखा और कठोर हो जाता है जिसके कारण रोगी को मल करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। जिससे कब्ज के लक्षण और बढ़ सकते हैं। इसलिए बेहतर पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने और कब्ज को रोकने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

3. दिनचर्या

दिनचर्या – भागदौड़ की जिन्दगी, व्यायाम की कमी, शौच के लिए समय निर्धारण न करना, घण्टों बैठकर काम करना या अधिक देर तक लेटकर टीवी देखना इत्यादि कब्ज को बढ़ावा देता है। खासतौर पर स्कूली बच्चों में देखा गया है कि सुबह देर से उठना फिर जल्दी से तैयार हो जाना, यहां तक कि शौच के लिए समय न निकाल पाना तथा बिना नाश्ता किए स्कूल चले जाना कब्ज का कारण बनते है।

4. नींद की कमी

नींद की समस्याएँ विभिन्न तंत्रों के माध्यम से कब्ज में योगदान कर सकती हैं। बाधित नींद पैटर्न मल त्याग सहित शरीर की प्राकृतिक लय को प्रभावित करता है। पर्याप्त नींद की कमी से कोर्टिसोल और मेलाटोनिन जैसे हार्मोन के स्तर में बदलाव होता है जो पाचन क्रिया के स्वस्थ्य को बिगाड़कर कब्ज का कारण बनते है। इसलिए नींद की समस्याओं का समाधान करने और पर्याप्त आराम सुनिश्चित करने से समग्र पाचन स्वास्थ्य में सुधार और कब्ज को कम करने में मदद मिल सकती है।

5. गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान कब्ज कई कारकों के कारणों से उत्पन्न होती है। हार्मोनल परिवर्तन, जैसे प्रोजेस्टेरोन का बढ़ा हुआ स्तर पाचन तंत्र में मांसपेशियों को आराम देकर आंतों के माध्यम से भोजन पचने की गति को धीमा कर देता है। यह घटी हुई गतिशीलता मल से अधिक पानी को अवशोषित करने की अनुमति देकर कब्ज का मुख्य कारण बनती है जिससे इसे त्यागना कठिन हो जाता है।

6. आंतों की गतिशीलता में परिवर्तन

मानसिक परेशानी, बुढ़ापा, इरीटेबल बावल सिन्ड्रोम, इल्कट्रोलाईट असंतुलन तथा स्त्रायुतंत्र के रोगों में आंत की गति धीमी हो जाती है तथा मल का विसर्जन पूरी तरह नहीं हो पाता जिसे कब्ज के नाम से जाना जाता है।

7. मलद्वार के रोग

बवासीर, गुदा फिशर और गुदा सिकुड़न जैसी एनोरेक्टल बीमारियाँ कब्ज में योगदान कर सकती हैं। ये स्थितियाँ मल त्याग के दौरान दर्द और असुविधा पैदा करती हैं जिससे व्यक्तियों को मल त्यागने से बचना पड़ता है जिससे कब्ज बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त इन स्थितियों से जुड़ी सूजन गुदा नलिका को संकीर्ण कर सकती है जिससे मल का गुजरना मुश्किल हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप कब्ज होता है। कब्ज को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और समग्र आंत्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए एनोरेक्टल रोगों का उचित निदान और उपचार आवश्यक है।

8. दवाईयां

नशीली दवाईयां, नीद की गोलियां, मानसिक रोगी को दी जाने वाली दवाईयां, दर्द निवारक दवाईयां, अफीम व अन्य प्रकार का नशा आदि कब्ज का मुख्य कारण बन सकती है क्योंकि इनसे रोगी का पाचन स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।

9. कम फाइबर युक्त आहार लेना

कब्ज के विकास में आहार संबंधी कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कम फाइबर और उच्च प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन पाचन प्रक्रिया को धीमा करके और मल की मात्रा को कम करके कब्ज में योगदान कर सकता है। क्योंकि उच्च फाइबर कि मात्रा भोजन को पचाने में मदद करती है लेकिन अपर्याप्त फाइबर के सेवन से मल कठोर और सूखा हो सकता है जिसे त्यागना मुश्किल हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप कब्ज होता है।

10. थायराइड रोग

थायराइड रोग विशेष रूप से हाइपोथायरायडिज्म नाम से जाना जाता है पाचन क्रिया को धीमा करके कब्ज पैदा कर सकता है क्योंकि जब थायरॉयड ग्रंथि कम सक्रिय होती है तो यह अपर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है जो पाचन सहित विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं को धीमा कर सकती है। जिसमें भोजन की गति भी शामिल है जिससे मल त्याग धीमा हो जाता है।

नोट:- यदि आप कब्ज की समस्या से परेशान है तो आप सबसे पहले ऊपर दिए गए कारणों से निजात पाए जो कि कब्ज के मुख्य कारण है। इसके साथ ही हमारे द्वारा कब्ज के दो सबसे बढ़िया चूर्ण नीचे दिए गए है जिसका उपयोग आप अपनी कब्ज निवारण के लिए कर सकते है। यदि आप कब्ज से अधिक परेशान है तो अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।

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निष्कर्ष

आज इस पोस्ट में हमने आपको बताया है कि कब्ज क्या होता है यानि इसके मुख्य कारण कौन-कौन से है जो कब्ज करते है। इसके साथ ही कब्ज विभिन्न प्रकार के कारकों से उत्पन्न हो सकता है जिसमें जीवनशैली विकल्प, चिकित्सीय स्थितियाँ, दवा के दुष्प्रभाव और मनोवैज्ञानिक कारक शामिल हैं। कब्ज के प्रभावी प्रबंधन और रोकथाम के लिए अंतर्निहित कारणों की पहचान करना और उनका समाधान करना आवश्यक है।

यदि आप अपने जीवन शैली में ऊपर दिए गए कारणों को पहचान कर बदलाव करते है जिसमें आहार में संशोधन, उचित जलयोजन, व्यायाम और तनाव प्रबंधन शामिल करता है तो रोगी अपने कब्ज के लक्षणों को कम कर सकता है। जिससे कब्ज नहीं होता और रोगी ठीक रहता है।

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