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आज ही जानें उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे के साथ-साथ जानें सीधा करने कि सही विधि - Ulta Bachcha Hone Ke Fayde

दुनिया भर में केवल 3 से 5 प्रतिशत महिलायें ही ऐसी होती है जिनको गर्भ कि डेलीवेरी के समय उल्टा बच्चा पैदा होता है इसके साथ ही यदि गर्भ में बचा सीधा है तो जन्म के समय उसका सिर पहले बाहर आता है तथा बाकी बाकी का शरीर उसके बाद बाहर है। लेकिन कुछ महिलाओं को इस बात को लेकर चिंता बनी रहती है गर्भ में बच्चा उल्टा हो तो क्या करना चाहिए। इसलिए आज इस लेख में हम कुछ ऐसे पहलुओं पर प्रकाश डलेगें जिनसे उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे के बारे में पता चलता है।

लेकिन गर्भ में उल्टा बच्चा पैदा होना के समय बच्चे के पैर नीचे होते हैं और सिर ऊपर होता है। इस पोजिसन में डिलीवरी के समय बच्चे के पेर पहले बाहर आते है और सिर उसके बाद यानि सबसे बाद बाहर आता है इस प्रकार के गर्भ कि डिलीवरी को ब्रीच डिलीवरी के नाम से जाना जाता है।

इस पार्कर के बच्चे का जन्म एक चमत्कारी यात्रा है क्योंकि बच्चे के जन्म के समय नितंब या पैर पहले खुद को प्रस्तुत करते हैं और सबसे बाद में सिर आता है इसके साथ ही ब्रीच डिलीवरी की बारीकियों को समझना महत्वपूर्ण है। इसलिए आज इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताएँगे कि उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे, उल्टा बच्चा पैदा होने के नुकसान, बच्चा उल्टा होने के कारण, गर्भ में बच्चा उल्टा होने के प्रकार, उल्टा बच्चा होने के लक्षण और उल्टा बच्चा सीधा कैसे होगा के बारे में विस्तार से बतायेगें इसलिए इस सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे

पेट में बच्चा उल्टा होने के लक्षण

एक महिला को पेट में उल्टा बच्चा होने के लक्षण महसूस हो सकते है जिसमें मुख्य तौर ऊपर कि और दवाब महसूस होना क्योंकि बच्चे का सिर माँ को अपनी पसलियों के आसपास लगा होता है। इसके अलावा एक माँ को कभी-कभी ऐसा महसूस होता है जैसे बच्चा पेट के निचले हिस्से में लात मार रहा हो। इसके साथ ही गर्भवती माताओं को भी बच्चे की स्थिति के कारण पेट के निचले हिस्से में परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए गर्भवती महिला को डॉक्टर परामर्श लेनी चाहिए।

नियमित प्रसव पूर्व जांच और अल्ट्रासाउंड परीक्षाएं बच्चे की स्थिति की पुष्टि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जिससे स्वास्थ्य पेशेवरों को इष्टतम भ्रूण विकास की जानकारी मिलती है। इन लक्षणों को समझने से माता-पिता और चिकित्सा पेशेवरों को उल्टे बच्चे से जुड़ी किसी भी चुनौती की निगरानी और समाधान करने में सहयोग करने में मदद मिलती है। जिससे प्रसव पूर्व देखभाल के लिए एक व्यापक और चौकस दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है।

उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे – Ulta Bachcha Hone Ke Fayde

आमतौर पर गर्भ के समय उल्टा बच्चा पैदा होने का कोई खास फायदा नहीं है लेकिन कुछ ओल्ड समय की औरतों का मिथ होता है कि इससे बच्चा कि मजबूत मांसपेशियों और हड्डियों को बढ़ावा मिलता है और बच्चा जन्म के बाद बीमार नहीं होता आदि।

एक महिला के गर्भकाल के समय बच्चा अपनी पोजीशन बदलता रहता है। जिसमें वह कभी उल्टा हो जाता तो कभी सीधा हो जाता है जोकि गर्भकाल के समय एक सामान्य क्रिया है इसमें माता-पिता को चिंता करने कि कोई जरूरत नहीं है। लेकन जैसे-जैसे प्रेगेनेंसी का 9 वां महीना पास आता है तो बच्चे का वजन बढ़ जाने कि वजह से वह पेट में जायद घूम नहीं पाता जिसके कारण वह सीधी या उलटी स्तिथि में जन्म लेता है। क्योंकि इस समय में बच्चा एक फिक्स पोजीशन ले लेता है और वो डिलीवरी के लिए तैयार हो जाता है।

लेकिन कुछ महिलायें प्रेगेनेंसी का 9 वां महीना के कुछ समय पहले अल्ट्रासाउन्ड करती है जिससे उनको बच्चे के पोजीशन का पता चल जाता है कि गर्भ मे उल्टा बच्चा है या सीधा बच्चा मौजूद है लेकिन कई महिलायें को उल्टा बच्चा पैदा होना कि चिंता बनी रहती है क्योंकि उनको बच्चे कि इस पोजीशन में सिजेरियन डिलीवरी करवानी पढ़ सकती है लेकिन कई बार उल्टा बच्चा भी भी नार्मल डिलीवरी से हो जाता है।

गर्भ में बच्चा उल्टा होने के प्रकार

ब्रीच डिलीवरी उस स्थिति को संदर्भित करती है जहां शिशु अपने पेरों को नीचे कि और रखता है और सिर को ऊपर कि और जिससे गर्भ से उल्टा बच्चा पैदा होता है ब्रीच डिलीवरी मुख्यता तीन प्रकार कि होती है जिसका विवरण नीचे दिया गया है:

गर्भ में बच्चा उल्टा होने के प्रकार
  1. फ्रैंक ब्रीच (Frank Breech) – यह गर्भ कि वह स्तिथि है जिसमें बच्चे के नितंब नीचे कि और होता है तथा पैर शरीर के सामने सीधे यानि ऊपर कि तरफ सिर कि और मूढ़े होते है।
  2. कंपलीट ब्रीच (Complete Breech) – महिला कि गर्भकाल कि अवस्था के दौरान बच्चा कंपलीट ब्रीच पोजीशन के समय पैरों को नितंबों के करीब रखकर क्रॉस-लेग्ड बैठता है। जिसमें बच्चे का सर ऊपर कि और होता है। जैसा कि फोटो में दिखया गया है। इसके साथ ही इस स्तिथि को पूर्ण ब्रीच भी कहा जाता है।
  3. फुटलिंग ब्रीच – फुटलिंग ब्रीच कि इस स्तिथि में ही गर्भ मे उल्टा बच्चा पैदा होता है क्योंकि इस स्तिथि में गर्भ के समय बच्चे के पैर नीचे की ओर इशारा करते हैं जिससे उन्हें पहले पैर से प्रसव की स्थिति मिलती है।

बच्चा उल्टा होने के कारण

गरभकालीन अवस्था के दौरान बच्चा कई बार अपने स्तिथि बदलता है जिससे कभी वह उल्टा हो जाता है तो कभी सीधा लेकिन गर्भ में उल्टा बच्चा होना का मुख्य कारण फुटलिंग ब्रीच पोजीशन है जिसमें बच्चे के पैर नीचे की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावा बच्चा उल्टा होने के कारण नीचे दिए गए है:

  1. गर्भ में उल्टा बच्चा होना का कारण सामान्य व्याख्या गर्भाशय के भीतर प्राकृतिक गति और स्थान की कमी है।
  2. गर्भाशय का आकार के कारण भी बच्चा उल्टा हो जाता है।
  3. एमनियोटिक फ्लूइड की कमी भी गर्भ में उल्टा बच्चा होना का कारण बनती है।
  4. गर्भधारण की संख्या भी बच्चों कि पोजीशन को प्रभावित करती है।
  5. गर्भधारण के कई विकार भी गर्भ में उल्टा बच्चा होना को प्रभावित कर सकते है जैसे बच्चेदानी में गाँठ आदि।

उल्टा बच्चा होने के नुकसान

गर्भ में उल्टा बच्चा होने कि संभवना बहुत कम होती है यदि फिर भी उल्टा बच्चा होने की समस्या देखी जाती हैं। तो यह स्तिथि कुछ नुकसानों के साथ आती है जिन पर गर्भावस्था के दौरान ध्यान देने की आवश्यकता होती है। क्योंकि इस स्तिथि के कारण शिशुओं को कठिन प्रसव, जन्म संबंधी चोटें और सिजेरियन सेक्शन की आवश्यकता का खतरा बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रसव के दौरान बच्चे की हृदय गति की निगरानी करने में चुनौतियाँ हो सकती हैं, जिसके लिए कड़ी निगरानी और चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

पेट में बच्चा उल्टा हो तो सीधा कैसे करें

यदि एक गर्भवती माँ को पता चलता है कि उसका बच्चा उल्टी स्थिति में है जिसे आमतौर पर “उल्टा बच्चा” प्रस्तुति के रूप में जाना जाता है। तो सही भ्रूण स्थिति को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न तकनीकों और विचारों का पता लगाया जा सकता है। एक व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन (ईसीवी) है। जो स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा की जाने वाली एक चिकित्सा प्रक्रिया है। ईसीवी के दौरान डॉक्टर प्रदाता बच्चे को मैन्युअल रूप से सिर नीचे की स्थिति में लाने के लिए मां के पेट पर हल्का दबाव डालता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर गर्भावस्था के 36वें सप्ताह के बाद सावधानीपूर्वक निगरानी में की जाती है।

इसके अतिरिक्त प्राकृतिक तरीकों पर विचार किया जा सकता है जिसमें विशिष्ट व्यायाम और स्थिति शामिल हैं जो बच्चे के अभिविन्यास को प्रभावित कर सकते हैं। ब्रीच टिल्ट, पेल्विक टिल्ट और घुटने से छाती तक व्यायाम जैसी तकनीकें फायदेमंद हो सकती हैं। लेकिन व्यायाम कि इस स्तिथि को सावधानी से करना चाहिए।

उपलब्ध तकनीकों को समझना और चिकित्सा पेशेवरों की सलाह पर विचार करना, गर्भवती माता-पिता को सही भ्रूण स्थिति को प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने और सकारात्मक जन्म अनुभव को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाता है।

नोट:- उल्टी स्थिति में शिशुओं के साथ गर्भवती माताओं को स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ खुले संचार में संलग्न रहना चाहिए, संभावित नुकसानों को सक्रिय रूप से संबोधित करना चाहिए और एक सुरक्षित और सकारात्मक प्रसव अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उचित रणनीतियों की खोज करनी चाहिए। उल्टे शिशुओं से जुड़ी कमियों को समझना माता-पिता और चिकित्सा पेशेवरों को सूचित और अनुकूलित प्रसव पूर्व देखभाल योजनाओं को लागू करने के लिए सशक्त बनाता है।

निष्कर्ष

आज इस पोस्ट में हमने आपको उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे के साथ-साथ गर्भ में बच्चा उल्टा होने के प्रकार, बच्चा उल्टा होने के कारण, पेट में बच्चा उल्टा होने के लक्षण, उल्टा बच्चा होने के नुकसान और पेट में बच्चा उल्टा हो तो सीधा कैसे करें के बारे में विस्तार से बताया है जोकि प्रसव पूर्व देखभाल योजनाओं को लागू करने के लिए माता-पिता को सशक्त बनाने में मदद करता है।

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